Japji sahib in hindi
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Japji Sahib: The Jewel of Divine Wisdom
जपजी साहिब: दिव्य ज्ञान का मणि
धार्मिक साहित्य में सिख धर्म की एक अद्भुत रचना है “जपजी साहिब”। यह एक पौराणिक बाणी है जो सिख गुरु, गुरु नानक देव जी द्वारा लिखी गई थी। जपजी साहिब गुरु नानक देव जी के प्रथम ग्रंथ “गुरु ग्रंथ साहिब” में सम्मिलित है और इसे सिखों के धार्मिक सिद्धांत, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
जपजी साहिब का शब्द “जप” ध्यान और “जी” जीवन को दर्शाता है, इसलिए इसे “ध्यान का साहिब” या “ध्यान की माला” भी कहा जाता है। इस बाणी में 40 पौरियां हैं जो प्रतियोगिता और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के विरुद्ध हैं, बल्कि यह सभी मनुष्यों के लिए सामान एवं समरस ज्ञान को समर्पित है।
जपजी साहिब के प्रत्येक पौरी में अद्भुत ज्ञान के रत्न छिपे हैं। यहां, संसार के उद्दिपन कारण, मानव जीवन के उद्देश्य, धर्म के मूल सिद्धांत, प्रेम और एकता की महत्ता, अनन्य भगवानी और सच्चे गुरु के ध्यान में रहने की अवधारणा, आत्म-समर्पण की महिमा और जीवन के मार्ग में सहायक नीतियों का वर्णन किया गया है।
जपजी साहिब के पाठ से मनुष्य के आंतरिक अंधकार का नाश होता है और उसे आध्यात्मिक उजाला मिलता है। इसमें बताए गए जीवन के नीति-नियम और सिद्धांत उसे सच्चे सुख और शांति की ओर प्रवृत्त करते हैं। जपजी साहिब की भावना भक्ति और मानवता के प्रति समर्पण की प्रेरणा प्रदान करती है।
जपजी साहिब के पाठ से हमें धैर्य, सहिष्णुता, ध्यान, सच्चा प्रेम, समरसता और सच्चे गुरु के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। यह हमें मानवता के आदर्श और सच्चे धर्म के प्रति समर्पित बनाता है।
समाप्ति में, जपजी साहिब सिख धर्म के अनमोल रत्नों में से एक है, जो हमें सच्चे ज्ञान, प्रेम, सहिष्णुता, और ध्यान की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देता है। यह सारे मानव जाति के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरक बनता है। जपजी साहिब को हर धार्मिक यात्री को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानना चाहिए।
ध्यान के साथ समझाया गया है कि जपजी साहिब एक अद्भुत धार्मिक ग्रंथ है जिसमें अनमोल ज्ञान का समंजस्य संगम है। सिख धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक अद्भुत संस्कृति, एकता, और प्रेम का प्रतीक है। इसे नियमित रूप से पाठ करके हम अपने जीवन को सच्चे धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और सच्चे सुख को प्राप्त कर सकते हैं।
जपजी साहिब, सिख धर्म के प्रमुख ग्रंथ “ग्रंथ साहिब” के प्रथम अध्याय में स्थित है। इसमें ८६ पौड़ियां हैं, जो अलग-अलग विषयों पर चर्चा करती हैं। जपजी साहिब के पाठ से व्यक्ति का मानसिक स्थिति प्रशांत होती है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करती है। इसमें प्रभु की महिमा, उसके गुण, और धर्म के महत्व का वर्णन किया गया है।