Dwaraka,द्वारका

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Dwaraka,द्वारका
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द्वारका :    भारतीय संस्कृति और धरोहर का एक अमूल्य रत्न

प्रस्तावना:

भारतीय इतिहास और संस्कृति अपनी अद्भुतता और समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। देश भर में कई ऐतिहासिक और पौराणिक स्थान हैं जो भारतीय संस्कृति के गौरवपूर्ण इतिहास का प्रतीक हैं। द्वारका, गुजरात राज्य के एक मशहूर समुद्रतट स्थल है जो कृष्ण भगवान के भवन थे। इस लेख में, हम द्वारका के ऐतिहासिक महत्व और समृद्ध धरोहरों के बारे में जानेंगे।

 

द्वारका का इतिहास:
द्वारका का इतिहास:

 

द्वारका का इतिहास:

द्वारका को पुरातत्वविदों के लिए भारतीय धरोहर के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के भवन के रूप में द्वारका अपने प्रसिद्धि के लिए भी जानी जाती है। महाभारत युद्ध के बाद, श्रीकृष्ण ने वृद्धावस्था में द्वारका स्थान को अपनी जगह से चले जाने का निर्णय किया था। यह घटना उनके जीवन के अंतर्गत मृत्यु के पश्चात हुई थी।

 

द्वारका की खोज:
द्वारका की खोज:

 

द्वारका की खोज:

द्वारका को सच्ची घटना के रूप में खोजने का प्रयास करने में वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों को बहुत समय लगा। 1980 के दशक में, मौर्यांशी नामक एक उत्तरी गुजरात में द्वारका के पास एक प्राचीन पोर्ट स्थान मिला। इस स्थान के खुदाई से एक विशाल मांस खाने वाली द्वीपीय नगरी की खोज हुई जिसे द्वारका के नाम से जाना जाता है।

 

Dwaraka,द्वारका
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द्वारका के धरोहर:

द्वारका के खुदाई से एक समृद्ध और सुंदर सभ्यता का पता चला है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के शासनकाल की स्मृति थी। यहां की खोजों से अनेक बड़े और भव्य मंदिर, सांस्कृतिक और सामाजिक संरचनाएं, चींटीकारी कला से भरे सुंदर प्रतिमाएं और रत्नबद्ध आभूषण मिले हैं।

द्वारका मंदिर:

द्वारका में भगवान कृष्ण के मंदिर हैं जिनमें से ज्यादातर मंदिर पुरातनकालीन हैं। इन मंदिरों में से सबसे प्रसिद्ध है द्वारकाधीश मंदिर, जिसे द्वारका के राजा जय सिंह द्वारकाधीश की स्थापना करने का श्रेय जाता है। इस मंदिर की भव्य शिखर और आकर्षक स्तूप की वजह से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

द्वारका की चींटीकारी कला:

द्वारका एक ऐसी स्थानीय संस्कृति का भंडार है जो विविधता और सौंदर्य से भरा हुआ है। द्वारका के प्राचीन निवासियों ने अपनी चींटीकारी कला के माध्यम से विश्व को भारतीय संस्कृति की सुंदरता का पता दिलाया है। इनकी चींटीकारी कला से निकले हुए विशालकाय मकान, सजावटी दरवाजे और आकर्षक प्रतिमाएं अन्य कला शृंगार के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

समाप्ति:

द्वारका भारतीय संस्कृति और इतिहास का अमूल्य रत्न है। यह एक ऐसा स्थान है जो देश के और अन्य देशों के इतिहास से जुड़ा हुआ है। इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण, द्वारका दर्शनीय स्थलों की सूची में ऊपर उठ गई है। आज भी इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित भक्तों की भीड़ लगती है और यहां के धरोहर लोगों को भारतीय संस्कृति के उच्चतम सांस्कृतिक मूल्यों का अनुभव करने में मदद करते हैं।

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